पुराने चेहरे

झांक कर आईने में जो देखा
मिला उम्र पर बंदिशे मेरे है
वही पुराना चेहरा हैं
आखो के निचे काले घेरे है
दिन की चाह रखने वालो ने
जैसे रात में लगाए फेरे हैं
सुनहरा दिन पाने को
जाने अभी कितने अँधेरे है
जितने मुसीबत के पहाड़ है
लगता है सब मेरे है
फ़िक्र और उम्र की लकीरें
अब चेहरे को हेरे है
जिम्मेदारियों का बोझ अब
मेरे कंधो को लजेरे है
उन्मुक्त उड़ने की चाह है
मगर पंख किसी ने पेरे है
आजाद होने की चाह है
मगर पाबंदियों  के डेरे है
जिंदगी ने बहुत दिया तो सही
मगर बस अनुभव ही बहुतेरे है
समय बदलता जरूर है
यही आस पास बस मेरे है


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