ज़हर ज़हर सारा शहर,
जलन जलन हर नज़र,
घुटा घुटा हर श्वन,
सहर सहर जाये मन,
मुरझाई मुरझाई सारी कलियां,
घबराई घबराई सब तितलियां,
काली काली सब पत्तियां,
कर रही खौफ बयां,
धुंआ धुंआ सब जगह,
कर रहा हमे आगाह,
कहीं नही मिलेगी पनाह,
होना होगा अब फनाह,
देन है ये अपनी ही,
जब मौत को तुम सिंच रहे,
काल आस पास है,
जब इतना काला पास है..
जलन जलन हर नज़र,
घुटा घुटा हर श्वन,
सहर सहर जाये मन,
मुरझाई मुरझाई सारी कलियां,
घबराई घबराई सब तितलियां,
काली काली सब पत्तियां,
कर रही खौफ बयां,
धुंआ धुंआ सब जगह,
कर रहा हमे आगाह,
कहीं नही मिलेगी पनाह,
होना होगा अब फनाह,
देन है ये अपनी ही,
खुद से तो पनपी नही,
बात हमने मानी नही,
मौत से क्यू डर रहे,जब मौत को तुम सिंच रहे,
काल आस पास है,
जब इतना काला पास है..
प्रवीण वर्मा
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