घर की बात बाहर बताया नहीं करते
बाहर वाले किसी के झगड़े सुलझाया नहीं करते
बड़े लोग खानदान के नाम पर रोटी सेंका नहीं करते
ओर जो ऐसा करते है उनको लोग पप्पू कहने से नहीं डरते
इतनी सी बात भी नहीं समझते तुम क्या अभी बच्चे हो
ओर कितनो से सुनोगे कि तुम अभी अक्ल के कच्चे हो
दूसरो को दोष देते हो ये बताओ तुम कितने सच्चे हो
गली गली घूम कर शोर मचाते हो तुम नादान ही अच्छे हो
हर किसी की बातो में आ जाते हो तुम कितने टुच्चे हो
भले लोगो के गले पड़ते फिर रहे हो तुम कितने लुच्चे हो
अभी तुम पके नहीं हो खट्टे अंगूर के गुच्छे हो
दूसरों को पाखंडी बताने वाले सब जानते है तुम कितने सुच्चे हो
उम्रदराज ही चले हो सफेद हो गई दाढ़ी है
अच्छा खासा नाम है और पास में बंगला गाड़ी है
फिर भी फटा कुर्ता पहन कर घूमता है बता क्या तू कबाड़ी है
अब तो खुद ही समझ जा भाई की तू कितना बड़ा अनाड़ी है
देश की तू चिंता छोड़ दे वो है सुरक्षित हाथो में
फ़ालतू की डिंगे हांक मत दम नहीं है तेरी बातो में
एक नई जान आ गई है जनता के जज्बातों में
कमल खिलाकर फिर बता देंगे नहीं फसेंगे लफ्फजो में
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